जय अम्बे गौरी

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।  
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।। जय अम्बे गौरी....  

माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।  
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको।। जय अम्बे गौरी....  

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।  
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी....  

केहरी वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।  
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी....  

कानन कुंडल शोभित, नासायें मोती।  
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।। जय अम्बे गौरी....  

शुभम-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।  
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी....  

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोनित बीज हरे।  
मधु-कैटभ दोइ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी....  

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।  
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी....  

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरू।  
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी....  

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।  
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी....  

भुजा चार अतिशोभित, वर-मुद्रा धारी।  
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी।। जय अम्बे गौरी....  

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।  
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती।। जय अम्बे गौरी....  

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।  
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे।। जय अम्बे गौरी....